subhash chander

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Sunday, 1 January 2017

Sanskrit grammar

1 अनुष्टुप छन्द: श्लोके षष्ठम् गुरु ज्ञेयम् सर्वत्र लघु पन्चमं
द्विचतुष्पादयोह्रस्वं सप्तमं दीर्चमन्ययो:
उदाहरण: यदा रदा हि धर्मस्य ग्लानि भवति भारत
अम्युत्मानमधर्मस्य तदात्मान सृजम्यहम्
2इन्द्रवज्रा छंद:स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ ग:
उदाहरण:हंसो यथा राजत पञ्जरस्थ:,सिंहो  यथा मन्दरकन्दरस्थ:,
वीरो यथा गर्वित कुञ्जरस्थ चन्द्रोअपि बभ्राज तथा अम्बरस्थ:
3उपेन्द्रवज्रा:- उपेन्द्रवज्रा जतजास्त:गोग:
उदाहरण:-त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेवबन्धु च सखा त्वमेव त्वमेव विद्या द्रविङम् त्वमेव
त्वमेव सर्व मम देवदेव
4उपजाति:-इन्द्रलज्रोपेन्द्रवज्रयो सम्मेलम् उपजाति
5मालिनी:-ननमयययुतेयं मालिनी भोगिलोकै:
उदाहरण:-अतुलित बलधामम् हेमशैलाम देहम्
दनुजवनक्रशानु शानिनामग्रगण्यम्
सकल गुण निधानम वानराणामदीराम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजात नमामि

छंद फोटो


संस्कृत व्याकरण

अनुष्टुप छंद: श्लोक षष्ठम् गुरु ज्ञेयम् सर्वत्र लघु पञ्चमम्
द्विचतुष्पद्यो ह्रसवम सप्तमम दिर्घमन्ययो

कक्षा 12 संस्कृत

छंद, अलंकार,
अलंकार :जैसे आभुसण मानव की सोभा बड़ाते है उसी प्रकार अलंकार काव्य की सोभा बड़ाते है
शब्दालंकार,अर्थालंकार दो होते है